दिन के उजाले सोते
तू रतजगों में शामिल
महफ़िल रहे अकेली
वीरानियों में महफ़िल
तू साथ है
तो हर शय गाती और मुस्कुराती
जो तू नहीं
तो मुझको कुछ भी नहीं है हासिल
तुमसे भली तो मुझको
लगती तुम्हारी यादें
तू साथ दे या न दे
वो हो न मुझसे गाफिल
-मृदुला शुक्ला
तू रतजगों में शामिल
महफ़िल रहे अकेली
वीरानियों में महफ़िल
तू साथ है
तो हर शय गाती और मुस्कुराती
जो तू नहीं
तो मुझको कुछ भी नहीं है हासिल
तुमसे भली तो मुझको
लगती तुम्हारी यादें
तू साथ दे या न दे
वो हो न मुझसे गाफिल
-मृदुला शुक्ला
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