Tuesday 26 March 2013

दूत

काली दास ने मेघो को चुना था
और मैंने तुम्हे
सन्देश देने के लिए ,

सुनो जब आज शुरू करोगे
तुम खुद से मुझ तक लौटने का सफ़र
तो रस्ते मैं आये सातों
समन्दरों से कहना !!!
इस प्रवास मैं कम हो गयी
तुम्हारी गहराई
उथले लगने लगे तुम
जब से नापी है
गहराई किसी परिपूर्ण
हृदय की !

और कहना
पहाड़ों से
तुम हरे से पीले हो जाते
बादलों के एक बरस के इंतज़ार मैं
और कोई  जन्म जन्मान्तर
तक तक प्रतीक्षा का
 विशवास लिए बैठा है

कहना नदियों से की
वो जारी रखें समुन्दर तक जाने का
सफ़र चिरकाल तक,
जब तक मीठा
न हो जाए समुंदर

आकाश यात्रा मैं जब
मिलेंगी व्योम बालाएं
तो बताना उन्हें
फीके से लगते हैं
तुम्हारे नकली चहरे
जब याद आता है किसी
प्रेममयी आँखों का माधुर्य
अब तक भी तो दूत ही थे न
आज मेरे बनोगे

                                                          -मृदुला शुक्ला

1 comment:

  1. एक ही चेहरा हमेशा हर किसी को नहीं लुभाता है, वक़्त के साथ लोगों के विचार और धारणा बदलते देर नहीं लगती है, कई बार आपके चेहरे की रंगत आपकी खुशी का राज बेपर्दा कर देती है...लोग कुछ कहते नहीं हैं लेकिन समझ सब कुछ जाते हैं. लेकिन हम वो हैं जो किसी चेहरे को तब तक नहीं भूलते जब तक उस चेहरे पर अपने लिए बेगानेपन का भाव नहीं देख लें .... हम केवल उसी चेहरे को देखकर मुस्कराते हैं, जिस चेहरे पर अपने लिए अपनापन देख लेते हैं और ऐसा चेहरा हजारों मे कोई एक होता है .... हमको चेहरों की रीडिंग करना अच्छा लगता है इसलिए एकटक देखते हैं, जिस चेहरे को एकटक देखते हैं उसको अच्छा लगता है तभी वरना नहीं ....!!!!!

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